कितना स्मार्ट हुआ शहर:जून में पूरा हो रहा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, 31 काम अब भी चल रहे हैं, सबसे ज्यादा डेवलपमेंट महाकाल मंदिर के आसपास हुआ

25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मप्र के भोपाल, इंदौर, जबलपुर को स्मार्ट बनाने का मिशन शुरू हुआ। दो साल बाद 2017 में ग्वालियर, सतना, सागर और उज्जैन भी जुड़ गया। यहीं से हमारे शहर को स्मार्ट बनाने का सिलसिला शुरू हुआ। सबसे ज्यादा डेवलपमेंट महाकाल मंदिर के आसपास हुआ। महाकाल लोक और आसपास का क्षेत्र। अभी इसके सेकंड फेस के काम चल रहे हैं। इसकी समयसीमा अगस्त-सितंबर तय है।

पहले फेस में महाकाल लोक का निर्माण किया। 2015 में देश के 100 शहरों को स्मार्ट बनाने का संकल्प लिया गया। इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ ही स्मार्ट ट्रैफिक साॅल्यूशन और हर घर में पीने का पानी पहुंचे जैसे उद्देश्य शामिल किए। साढ़े छह साल में उज्जैन को 788 करोड़ रुपए मिले।

इसमें करीब 85 प्रोजेक्ट थे। अभी तक 770.49 करोड़ खर्च कर 47 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं, वहीं 31 प्रोजेक्ट के काम चल रहे हैं। जो प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं उनमें एकीकृत कमांड सेंटर है। जिससे शहर के प्रमुख चौराहों पर हाई फ्रिक्वेंसी कैमरे लगे हैं, जिससे आने-जाने वाले पर नजर रखी जाती है। ट्रैफिक के चालान भी इन्हीं से काटे जाते हैं।

जून तक बढ़ाया प्रोजेक्ट, इससे पहले मिलना हैं 212 करोड़ रुपए

शहर को स्मार्ट बनाने के लिए 788 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। इसमें प्रतिवर्ष 200 करोड़ मिलते हैं। 100 करोड़ केंद्र तो 100 करोड़ राज्य सरकार देती है। इसी हिसाब से उज्जैन को अभी तक केंद्र से 388 करोड़ और 400 करोड़ राज्य सरकार से मिले है। प्रोजेक्ट को एक साल के लिए जून 2024 तक के लिए बढ़ाया गया है। इसलिए अभी 212 करोड़ रुपए और मिलना है। इनमें अभी कुछ प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं।

यह तीन प्रोजेक्ट जरूरी, जिनके होने से बदलेगी शहर की सूरत

शिप्रा शुद्धिकरण: शिप्रा को शुद्ध करने पर करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं लेकिन अभी तक शिप्रा शुद्ध नहीं हो पाई है। अभी भी 14 नालों का गंदा पानी मिलता है। वहीं बारिश के समय तो यह परेशानी और बढ़ जाती है। गंदा पानी मिलने से रोकने के लिए स्टार्म वॉटर की लाइन डाली गई है। इसमें नालों को जोड़ दिया है, जिससे बारिश में जब नालों में बहाव ज्यादा होता है तो चैंबर ओवरफ्लो हो जाते हैं।

ट्रैफिक पॉलिसी: महाकाल लोक बनने के बाद बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में आठ गुना इजाफा हुआ। इसके लिए सड़कों की संख्या बढ़ाना होगी। वहीं ट्रैफिक को लेकर स्मार्ट पॉलिसी पर काम करना होगा। सबसे अहम है मल्टीलेवल पार्किंग। अभी हमारे पास 2500 वाहनों को रखने की पार्किंग हैं। इन्हें बढ़ाना भी जगह कम होने के कारण संभव नहीं। ऐसे में मल्टीलेवल पार्किंग के काॅन्सेप्ट पर शहर को लाना होगा, जिससे उतनी जगह में 10 हजार से अधिक वाहन पार्क किए जा सकें।

सड़कों का चौड़ीकरण: कुछ सड़कें चौड़ी की है लेकिन अब भविष्य के हिसाब से अभी से प्लान करना होगा। पुराने शहर की सड़कों से लेकर महाकाल लोक के आसपास की सड़कों को चौड़ा कर स्मार्ट बनाना होगा, जिससे बाहर से आने वाले वाहनों के लिए जगह हो। अभी आम दिनों में भी हरिफाटक ब्रिज और पुराना शहर जाम हो जाता है।

47 प्रोजेक्ट पूरे, बाकी भी समय पर पूरे हो जाएंगे

स्मार्ट सिटी के पास टोटल 85 प्रोजेक्ट थे। जिनमें से स्मार्ट सिटी ने 47 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। 31 के अभी काम चल रहे हैं। शासन द्वारा तय की गई समयसीमा से पहले ही प्रोजेक्ट पूरे कर लिए जाएंगे।

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